भारत में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या रही है, और हाल के रुझान दर्शाते हैं कि वर्तमान में यह अपने चरम पर है। इस जटिल और बहुआयामी समस्या के कई कारक हैं, जो संरचनात्मक, आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का मिश्रण हैं। यहाँ दस महत्वपूर्ण कारण हैं कि क्यों भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है:
- आर्थिक मंदी
हाल के वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि धीमी हो गई है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा है। मंदी के कारण विनिर्माण और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में रोजगार सृजन में कमी आई है, जो रोजगार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- कौशल असमानता
कार्यबल द्वारा प्राप्त कौशल और नियोक्ताओं द्वारा मांगे गए कौशल के बीच महत्वपूर्ण अंतर है। शिक्षा प्रणाली अक्सर व्यावहारिक कौशल के बजाय सैद्धांतिक ज्ञान पर जोर देती है, जिससे कई स्नातक नौकरी के बाजार के लिए अपर्याप्त तैयार होते हैं।
- जनसंख्या वृद्धि
भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे हर साल लाखों नौकरी खोजने वाले बाजार में आ रहे हैं। अर्थव्यवस्था इतनी तेजी से रोजगार सृजित नहीं कर पा रही है कि वह इस बढ़ते कार्यबल की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।
- कृषि संकट
भारत की एक बड़ी आबादी अभी भी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। हालांकि, यह क्षेत्र अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे अनियमित मौसम, कम उत्पादकता, और अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, जिससे अर्ध-रोजगार और बेहतर अवसरों की तलाश में शहरी क्षेत्रों में पलायन हो रहा है।
- स्वचालन और तकनीकी प्रगति
प्रौद्योगिकी और स्वचालन में प्रगति के कारण कई क्षेत्रों में श्रम की मांग कम हो रही है। ये तकनीकें दक्षता में सुधार करती हैं, लेकिन वे विशेष रूप से निम्न-कौशल वाले नौकरियों में काम करने वालों को विस्थापित भी करती हैं।
- अनौपचारिक क्षेत्र का प्रभुत्व
भारत के कार्यबल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत है, जो निम्न वेतन, नौकरी की असुरक्षा, और लाभों की कमी से ग्रस्त है। अनौपचारिक क्षेत्र की अस्थिरता अक्सर अस्थिर रोजगार की स्थिति पैदा करती है।
- कठोर श्रम कानून
भारत के श्रम कानून अक्सर बहुत कठोर होने के कारण आलोचना का शिकार होते हैं, जिससे व्यवसायों के लिए कर्मचारियों को लचीले ढंग से भर्ती करना और निकालना मुश्किल हो जाता है। यह कठोरता कंपनियों को विशेष रूप से आर्थिक अनिश्चितता के समय में अपने कार्यबल का विस्तार करने से हतोत्साहित कर सकती है।
- धीमी औद्योगिक वृद्धि
औद्योगिक क्षेत्र, जो बड़ी संख्या में श्रमिकों को समायोजित करने की क्षमता रखता है, अपेक्षित दर से नहीं बढ़ा है। नियामक बाधाओं, बुनियादी ढांचे की कमी, और निवेश की अड़चनों जैसे कारक इसके विस्तार में बाधक हैं।
- उद्यमिता की कमी
उद्यमिता रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण चालक हो सकती है। हालांकि, भारत में कई बाधाएं हैं, जैसे पूंजी की अपर्याप्त पहुंच, जटिल नियामक वातावरण, और मार्गदर्शन की कमी, जो नए व्यवसायों की वृद्धि को रोकती हैं।
- शिक्षा प्रणाली
भारत की शिक्षा प्रणाली अक्सर व्यावसायिक प्रशिक्षण और रोजगार के लिए आवश्यक कौशल विकास प्रदान करने में विफल रहती है। रटकर सीखने पर जोर देने के बजाय, आलोचनात्मक सोच और व्यावहारिक कौशल पर ध्यान केंद्रित न करने से कई छात्र नौकरी के बाजार के लिए अयोग्य हो जाते हैं।
भारत में कई लोग कौशल विकास या शिक्षा पर ध्यान देने के बजाय सिनेमा, राजनीतिक रैलियों और अन्य गतिविधियों में समय बिताते हैं। इसका मुख्य कारण है जागरूकता की कमी और शिक्षा प्रणाली की विफलता, जो व्यावहारिक कौशल के महत्व को नहीं सिखा पाती। इसके अलावा, सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव, तात्कालिक मनोरंजन की तलाश, और रोजगार के अवसरों की अनिश्चितता भी प्रमुख कारण हैं। लोग जल्दी सफलता और संतोष की खोज में इन गतिविधियों की ओर आकर्षित होते हैं, जबकि उन्हें यह समझाने की जरूरत है कि दीर्घकालिक सफलता और स्थिरता के लिए कौशल विकास और शिक्षा कितनी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
भारत में बेरोजगारी का समाधान करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षा, श्रम कानून और औद्योगिक नीति में सुधार शामिल हैं, साथ ही आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के प्रयास भी जरूरी हैं। कौशल विकास को बढ़ावा देना, उद्यमिता को प्रोत्साहित करना, और कृषि उत्पादकता में सुधार करना एक मजबूत रोजगार बाजार बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। केवल व्यापक और निरंतर प्रयासों के माध्यम से ही भारत अपनी बेरोजगारी की समस्या को प्रभावी ढंग से हल कर सकता है।